बन गए दिल के फ़साने क्या क्या खुल गए राज़ न जाने क्या क्या कौन था मेरे अलावा उस का उस ने ढूँडे थे ठिकाने क्या क्या रहमत-ए-इश्क़ ने बख़्शे मुझ को उस की यादों के ख़ज़ाने क्या क्या आज रह रह के मुझे याद आए उस के अंदाज़ पुराने क्या क्या रक़्स करती हुई यादें उन की और दिल गाए तराने क्या क्या तेरा अंदाज़ निराला सब से तीर तो एक निशाने क्या क्या आरज़ू मेरी वही है लेकिन उस को आते हैं बहाने क्या क्या राज़-ए-दिल लाख छुपाया लेकिन कह दिया उस की अदा ने क्या क्या दिल ने तो दिल ही की मानी 'मीता' अक़्ल देती रही ताने क्या क्या