बंद हथेली में हैं सब By Ghazal << कौन कहता है कि तुम सोचो न... हो सितम कैसा भी अब हालात ... >> बंद हथेली में हैं सब जंगल वीराने और शब दरिया उतर गया तो क्या नय्या डूब गई है अब पलकें नम थीं और कोई मेरे संग न रोया तब लोग मुझे पागल कहते सच के मोती चुनती जब जीवन मुझ से रूठ गया 'बीना' दस्तक दी तो कब Share on: