बनते हैं फ़रज़ाने लोग कितने हैं दीवाने लोग दैर ओ हरम की राह से ही जाते हैं मय-ख़ाने लोग देख के मुझ को गुम-सुम हैं आए थे समझाने लोग क्या सुनते नासेह की बात हम ठहरे दीवाने लोग नीची नज़र से मुझ को न देखो घड़ लेंगे अफ़्साने लोग दीवाना कहते हैं 'अमीर' ख़ूब मुझे पहचाने लोग