बारिश का है ऐसा काल सूखे पड़े हैं दिल के ताल ये ही मेरे दुख सुख हैं कपड़ा लत्ता आटा दाल दिल्ली का तख़्ता उल्टा दिल की जमी है मगर चौपाल आइंदा की फ़िक्र न कर वर्ना देख ले मेरा हाल आँसू पीना ग़म खाना काफ़ी है ये रिज़्क़-ए-हलाल दुनिया और दुनिया की चाह झूटा दरिया नक़ली जाल दिल का गुज़ारा कैसे हो सारे यार हुए कंगाल जीवन नंगा पर्बत है कठिन चढ़ाई बेढब ढाल आग से यारी मत करना ऐसे दिल को भाड़ में डाल मिट्टी को परवा ही नहीं किस का चाँद है किस का लाल