बता ऐ दिल कि नालों से हुआ क्या तिरे रोने से वो बुत डर गया क्या जो तुम पर मर मिटा मरने से पहले वो क्या जाने बक़ा क्या है फ़ना क्या न समझे हम तो अब तक इस क़दर भी कि उन की ज़ुल्फ़-ए-पुर-ख़म है बला क्या वो कहते हैं नक़ाब-ए-रुख़ हटा कर हया-ओ-शर्म से अब वास्ता क्या मिरा दिल ले के मुझ से फिर गए तुम कोई ऐसा भी मतलब-आश्ना क्या नहीं और हाँ पे अपना फ़ैसला है हमारी इब्तिदा क्या इंतिहा क्या खड़े हैं चुप दम-ए-आख़िर मिरे सब अतिब्बा क्या अज़ीज़-ओ-अक़रिबा क्या नहीं इस दौर में कोई किसी का किसी की अब शिकायत क्या गिला क्या न रखते हो हुनर कोई न दौलत बताओ तो करोगे तुम 'अता' क्या