बयाँ अपनी हक़ीक़त कर रहा हूँ By Ghazal << कभी हया उन्हें आई कभी ग़ु... बस यही तो मुद्दआ है आप के... >> बयाँ अपनी हक़ीक़त कर रहा हूँ वो कहते हैं शिकायत कर रहा हूँ कभी उन से कही थी बात कोई मगर अब तक वज़ाहत कर रहा हूँ बिला मक़्सद नहीं ये देखना भी किसी को ख़ूबसूरत कर रहा हूँ Share on: