बे-बसों या बे-सहारों और बे-चारों का साथ कौन देता है यहाँ अब वक़्त के मारों का साथ ये तो रुकने का ख़ुदारा नाम ही लेते नहीं आँसूओं को मिल गया है कौन से धारों का साथ मैं अगर छोड़ा गया तो क्यों उसे इल्ज़ाम दूँ चाँद भी तो छोड़ दे है टूटते तारों का साथ भूक के हर मसअले को उन से जा के पूछिए भूक ने काटा हो जिन के साथ अठवारों का साथ अब के ये बरसात मेरे सर से छत भी ले गई मेरे घर को चाहिए था और दीवारों का साथ सर पटकती फिर रही सच्चाई 'आबिद' दर-ब-दर हर तरफ़ से ले चुका है झूट अख़बारों का साथ