बेबसी ख़ाक उड़ाने से भी कट सकती थी नींद थी नींद तो लम्हों में पलट सकती थी मैं अकेली ही सहे जाती थी इफ़्लास का दुख वैसे तकलीफ़ तो हम दोनों में बट सकती थी तू जो कमरे से निकल आया तो ये फैल गई रौशनी तेरे इशारे पे सिमट सकती थी आप ग़ुस्से में थे मैं रोक न पाई वर्ना आप की शर्ट मिरे हाथ से फट सकती थी हाए गम्भीर अँधेरे में हुआ गुम बच्चा माँ तो ख़ुर्शेद का तख़्ता भी उलट सकती थी