बे-क़रारी हो मगर फिर भी क़रार आ जाए वो पलट कर भी जो देखे तो बहार आ जाए गुफ़्तुगू ऐसी करो दिल को क़रार आ जाए जैसे वीराने में चुपके से बहार आ जाए क्यों नज़र आए भला अक्स-ए-मोहब्बत उस में दिल के शीशे पे अगर गर्द-ओ-ग़ुबार आ जाए तेरी आँखों में है बंगाल का जादू अब भी तू जहाँ देखे वहाँ तेरा शिकार आ जाए मौत से डरने का मर जाएगा एहसास अगर ज़िंदगी फिर तिरे चेहरे पे निखार आ जाए तुम अक़ीदत की शराबों का नशा क्या जानो हम तसव्वुर भी जो कर लें तो ख़ुमार आ जाए फूल से चेहरे पे ठहरे हुए आँसू 'शातिर' कोई दुश्मन भी अगर देखे तो प्यार आ जाए