बे-ख़ुदी ले उड़ी हवास कहीं है कोई दिल के आस-पास कहीं हुस्न जल्वा दिखा गया अपना इश्क़ बैठा रहा उदास कहीं हम बईद ओ क़रीब ढूँड चुके वो कहीं दूर है न पास कहीं सब्र ही आए अब क़रार तो क्या टूट ही जाए दिल की आस कहीं 'सैफ़' ख़ून-ए-जिगर पड़ा पीना ऐसे बुझती है दिल की प्यास कहीं