बे-ख़ुदी में जब तिरी महफ़िल में दीवाने गए अहल-ए-दिल अहल-ए-हवस के फ़र्क़ पहचाने गए कैसे कैसे हाल में देखा जनाब-ए-शैख़ को महफ़िल-ए-रिंदाँ में जब भी वा'ज़ फ़रमाने गए मय-कश-ए-आवारा इस दुनिया से क्या उठ कर गया मय गई जाम-ओ-सुबू साक़ी-ओ-मय-ख़ाने गए ऐ हसीनान-ए-जहाँ अहल-ए-हवस से होशियार वर्ना हुस्न-ओ-इश्क़ से मरबूत अफ़्साने गए फ़ैसला-कुन किस क़दर थी हाए ज़ालिम की अदा दिल-जिगर क़ल्ब-ओ-नज़र के सारे अफ़्साने गए अपने अपने बस की बातें अहल-ए-महफ़िल जान लें शम-ए-महफ़िल के क़रीं फिर लीजे परवाने गए ज़िंदगी-भर 'अस्र' गो रिंदों के हम-मशरब रहे फिर भी दीवानों में फ़रज़ाने से गर्दाने गए