बे-सबब भी रक़ीब होते हैं लोग कितने अजीब होते हैं तू जिन्हें ख़ुद भी याद करता है ऐसे भी ख़ुश-नसीब होते हैं उन के जितना क़रीब जाता हूँ वो भी इतने क़रीब होते हैं जो तुझे याद करते रहते हैं वो मिरे भी हबीब होते हैं कुछ तुझे भी समझ नहीं पाते ऐसे भी बद-नसीब होते हैं सब ऐसी नहीं मिला करते कुछ तो ख़ाली सलीब होते हैं जब भी यादें तिरी सताती हैं जागे जागे नसीब होते हैं