बे-सबब जो भी मुस्कुराता है दिल के ज़ख़्मों को वो छुपाता है सारी दुनिया उदास लगती है जब कोई अपना रूठ जाता है दिल का रिश्ता अजीब रिश्ता है एक लम्हे में टूट जाता है जाने क्या बात है हथेली पर नाम लिख कर मिरा मिटाता है चाँदनी रूह में महकती है कोई जिस वक़्त याद आता है ख़्वाब बनता है जब भी मुस्तक़बिल मेरा माज़ी नज़र मिलाता है 'ताज' उस से मिरा तअल्लुक़ क्या मेरे सर की क़सम जो खाता है