बे-वजह आप हमें काश न यूँ ठुकराते आज़मा लेते या दस्तूर बदलते जाते लाख चाहा कि हो पहचान कोई अपनी भी काश हम आप के ही नाम से जाने जाते ये भी एहसाँ न किया आप ने रूठो हम से इक बहाना तो मिला होता मनाने आते ख़ूब गहरी जो लगी चोट तो हम ने जाना वक़्त लगता है किसी दर्द को जाते जाते