बेवफ़ा तुझ से कुछ गिला ही नहीं तू तो गोया कि आश्ना ही नहीं या ख़ुदा पास या बुताँ के पास दिल कभू अपने हाँ रहा ही नहीं दिल से जो चाहिए सो बाँधिए बात मैं ने वल्लाह कुछ कहा ही नहीं तेरे कूचा से आह जाने को दिल नहीं या कि अपने पा ही नहीं याँ तग़ाफ़ुल में अपना काम हुआ तेरे नज़दीक ये जफ़ा ही नहीं नामे बुलबुल ने गो हज़ार किए एक भी गुल ने पर सुना ही नहीं कुछ न होता 'असर' असर उस को भले को नाला तू किया ही नहीं