बे-वफ़ाओं को वफ़ाओं का ख़ुदा हम ने कहा क्या हमें कहना था ऐ दिल और क्या हम ने कहा लब को ग़ुंचा ज़ुल्फ़ को काली-घटा हम ने कहा दिल ने हम को जो भी कहने को कहा हम ने कहा किस क़दर मजबूर होंगे उस घड़ी हम ऐ ख़ुदा जब तिरे बे-फ़ैज़ बंदों को ख़ुदा हम ने कहा दाद देना तुम हमारी चश्म-पोशी की हमें राह में जो गुम थे उन को रहनुमा हम ने कहा जब मरीज़-ए-इश्क़ को कोई दवा आई न रास दर्द ही को दर्द की आख़िर दवा हम ने कहा गिर गया अपनी निगाहों में ही अपना सब वक़ार जब सर-ए-बाज़ार खोटे को खरा हम ने कहा