भाई ख़ुदा के बंदे जानें दिल को जैसे राम किया अपनी बधाई हो दुनिया पर चार छे दिन जो काम किया एक निशानी सी साहिल पर सारी कहानी छोड़ गई डूबती नाव पर उस आख़िरी मौज ने क्या इनआ'म किया प्यारे दुश्मन जीवन जोगी आख़िर तुम भी देख ही लोगे ख़ुद को ख़ैर से कहते सुनोगे हम ने मज़ाक़ जो आम किया नाम पता बे-शक मत लिक्खो पहुँचेगा तुम बस ख़त लिक्खो और इस हद तक गुमनामी में पैदा किस ने नाम किया ख़ुशियाँ ग़म जब हँस रो बैठे आख़िर को सब चुप हो बैठे बुझता अलाव ऊँघते तारे हम ने ख़ूब कलाम किया कुछ मौज़ूँ ना-मौज़ूँ करता या यूँ करता तो क्यों करता लेकिन ख़ाली बैटरी ने भरवाँ बंदूक़ का काम किया