भटकता फिर रहा हूँ जुस्तुजू बिन सरापा आरज़ू हूँ आरज़ू बिन कोई इस शहर को ताराज कर दे हुई है मेरी वहशत हा-ओ-हू बिन ये सब मोजिज़-नुमाई की हवस है रफ़ूगर आए हैं तार-ए-रफ़ू बिन मआश-ए-बे-दिलाँ पूछो न यारो नुमू पाते रहे रिज़्क़-ए-नुमू बिन गुज़ार ऐ शौक़ अब ख़ल्वत की रातें गुज़ारिश बिन गिला बिन गुफ़्तुगू बिन