भेस बनाए घूम रहा है दीवाना गलियों गलियों कौन मिलेगा देखें अपना बेगाना गलियों गलियों सड़कों पर पहरा देती आँखों से उलझे कौन भला तुम को आना हो तो अब के आ जाना गलियों गलियों देखो इक दिन थक जाएँगे थक के रुक जाएँगे क़ौम वही सुब्ह से शाम तुम्हारा भटकाना गलियों गलियों दिल की मंज़िल थी कि हवस की गर्दिश थी मा'लूम नहीं जाने कौन लिए फिरता था अन-जाना गलियों गलियों ऐ 'आज़ाद' यही निकला सदियों की मसाफ़त का हासिल एक उदासी के आलम का छा जाना गलियों गलियों