भीगी भीगी बरखा रुत के मंज़र गीले याद करो दो होंट रसीले याद करो दो नैन कटीले याद करो तुम साथ हमारे चलते थे सहरा भी सुहाना लगता था गुल-पोश दिखाई देते थे सब रेत के टीले याद करो घुँगरू की सदाएँ आती थीं संतूर कभी बज उठते थे माहौल में गूँजा करते थे संगीत रसीले याद करो हम भी थे कुछ बे-ख़ुद से तुम भी थे मदहोश बहुत और एहसास की चोली के कुछ बंद थे ढीले याद करो वो प्यार भरी इक मंज़िल थी ता-हद्द-ए-नज़र थे फूल खिले तन-मन में ज्वाला भरते थे मंज़र रंगीले याद करो