भूल सकता है उन्हें कोई भी ऐसे कैसे रफ़्तगाँ दिल में बसा करते हैं कैसे कैसे जान ले कर भी अगर ख़ुश नहीं होने वाला कोई बतलाए वो फिर मानेगा वैसे कैसे हँसते हँसते वो जुदाई को भी सह जाएगा ज़िंदा रह पाएँगे लेकिन मिरे जैसे कैसे वो तो अनमोल है नायाब है इकलौता है उस की तश्बीह करें हम किसी शय से कैसे ये मिरे यार की आँखों में रहा करती थी पूछिए कुछ न हुई दोस्ती मय से कैसे ज़िंदगी ये तिरी रफ़्तार अजब तर्ज़ की है चलना चाहें तो चलें हम तिरी लय से कैसे ज़िंदगी से तुझे बे-दख़्ल तो कर दें जानाँ पर तू निकले भी तो निकले रग-ओ-पै से कैसे किस तरह कोई भुला दे तुझे देखो तो 'वसी' मशवरे हम को मिला करते हैं कैसे कैसे