भूला हुआ उल्फ़त का सबक़ याद करें हम इस उजड़े चमन को चलो आबाद करें हम ये ख़ून में डूबे हुए बर्बादी के क़िस्से तारीख़ से अब ख़त्म ये रूदाद करें हम माज़ी के फ़साने हैं मज़ाहिब के ये झगड़े इन बातों में क्यों वक़्त को बर्बाद करें हम लोगों की तरक़्क़ी का नया रास्ता ढूँडें बर्बादी का सामान क्यों ईजाद करें हम ऐ मेरे ख़ुदा तू ही बचा अर्ज़-ए-वतन को अब जा के कहाँ शिकवा-ए-बेदाद करें हम