भूलों उन्हें कैसे कैसे कैसे वो लम्हे जो तेरे साथ गुज़रे है राह-नुमा जिबिल्लत उन की बे-हिस नहीं मौसमी परिंदे ऐ दानिश-वर मफ़र नहीं है इक़रार-ए-वजूद-ए-किब्रिया से जाना कोई कारसाज़ भी है टूटे बन बन के जब इरादे मेहराब उमूद बुर्ज क़ौसें रस में डूबे भरे भरे से बहर-ए-काफ़ूर में तलातुम भौंरा बैठा कँवल को चूसे चाक-ए-उफ़क़ी हरीम-ए-ज़ोहरा रह रह के मदन तरंग झलके झिलमिल झिलमिल बदन का सोना लहराएँ लटें कमर से नीचे क्या चाँद सी सूरतें बनाईं क़ुर्बान ऐ नीली छतरी वाले