बीती है ये सब दिल पे है सब दिल की ज़बानी हिज्राँ की जो दिलबर से मैं कहता हूँ कहानी तू यार अज़ीज़ आँखों में है महर-वशों के नीं है मह-ए-कनआँ भी तिरे हुस्न के सानी अबरू के तिरे चीन के क्या वस्फ़ कहूँ मैं शमशीर में जौहर से है ख़ूबी की निशानी सर पर हो सर-ए-बज़्म कहाँ शम्अ में है आब गर इश्क़ की आँखें जो करें अश्क-फ़िशानी