बोलते बोलते जब सिर्फ़ ज़बाँ रह गए हम तब इशारे से बताया कि कहाँ रह गए हम हमें इतनी बड़ी दुनिया का पता थोड़ी था जहाँ हम तुम हुआ करते थे वहाँ रह गए हम हम मकाँ भी थे मकीं भी थे कि बाज़ार था गर्म फिर ख़सारा हुआ और सिर्फ़ मकाँ रह गए हम देर तक ख़ाली मकाँ ख़ाली नहीं छोड़ते हैं आप तब थे ही नहीं आप के हाँ रह गए हम घर ही ऐसा था ये कुछ दोहरी मसहरी वाला अपना रहने के अलावा भी यहाँ रह गए हम एक आवाज़ के दो हिस्से हुए ठीक हुआ तुम वहाँ रह गए ख़ामोश यहाँ रह गए हम पाँव दर्ज़ों में टिकाए हुए सर रख़नों में इस निहाँ-ख़ाने में रह रह के अयाँ रह गए हम