ब-सद ख़ुलूस ब-तरज़-ए-निसाब पढ़ डालें किताब-ए-इश्क़ का हर एक बाब पढ़ डालें अंधेरा आने पे ये इल्म रौशनी देगा चराग़ बुझने से पहले किताब पढ़ डालें पस-ए-हिजाब रुख़-ए-माहनाज़ पढ़ न सके हो आज इज़्न अगर बे-हिजाब पढ़ डालें अजब नहीं कि नया अज़्म दिल में पैदा हो हमारी क्या थी कभी आब-ओ-ताब पढ़ डालें ज़मीं पे भी इसी मीज़ान को करें क़ाएम फ़लक पे दर्ज ख़ुदा का ख़िताब पढ़ डालें क़यास कीजिए क्या क्या सवाल आएँगे सवाल आने से पहले जवाब पढ़ डालें शुरूअ' गोद से हो गोर तक रहे जारी हिसाब रखिएगा क्या बे-हिसाब पढ़ डालें मुतालेए' हो मक़ाले का है ये हक़ 'जावेद' मिले न वक़्त तो लुब्ब-ए-लुबाब पढ़ डालें