बुझ न जाए मिरा दिया साईं तेज़ होने लगी हवा साईं तू ही सुन ले कि तू ही सुनता है कौन सुनता है फिर दुआ साईं घर जलाना बना के दुनिया भी बंद हो अब ये सिलसिला साईं अपने दरिया ही पी न ले धरती अब तो बरसा कोई घटा साईं मुझ तलक आ के लौट जाए वो कौन देता है यूँ सदा साईं कुछ तो साया हो सर पे 'जौहर' के धूप करने लगी गिला साईं