बुरा वक़्त आ कर गुज़रता नहीं है मसर्रत भरा पल ठहरता नहीं है करो ख़ुद उजालों के अस्बाब पैदा चराग़ों में सूरज उतरता नहीं है सँभालें सभी मर्तबा अपना अपना समुंदर नदी में उतरता नहीं है बुज़ुर्गों की इज़्ज़त है जिस घर का शेवा ये सच है कि वो घर बिखरता नहीं है अना पर अगर बात आ जाए 'साबिर' हवाओं से तिनका भी डरता नहीं है