बुत भी इस में रहते थे दिल यार का भी काशाना था एक तरफ़ काबे के जल्वे एक तरफ़ बुत-ख़ाना था दिलबर हैं अब दिल के मालिक ये भी एक ज़माना है दिल वाले कहलाते थे हम वो भी एक ज़माना था फूल न थे आराइश थी उस मस्त-अदा की आमद पर हाथ में डाली डाली के एक हल्का सा पैमाना था होश न था बे-होशी थी बे-होशी में फिर होश कहाँ याद रही ख़ामोशी थी जो भूल गए अफ़्साना था दिल में वस्ल के अरमाँ भी थे और मलाल-ए-फ़ुर्क़त भी आबादी की आबादी वीराने का वीराना था उफ़-रे बाद-ए-जोश-ए-जवानी आँख न उन की उठती थी मस्ताना हर एक अदा थी हर इश्वा मस्ताना था शम्अ के जल्वे भी या-रब क्या ख़्वाब था जलने वालों का सुब्ह जो देखा महफ़िल में परवाना ही परवाना था देख के वो तस्वीर मिरी कुछ खोए हुए से कहते हैं हाँ हाँ याद तो आता है इस शक्ल का इक दीवाना था ग़ैर का शिकवा क्यूँकर रहता दिल में जब उम्मीदें थीं अपना फिर भी अपना था बेगाना फिर बेगाना था 'बेदम' इस अंदाज़ से कल यूँ हम ने कही अपनी बीती हर एक ने समझा महफ़िल में ये मेरा ही अफ़्साना था