चाक दिल में है सलामत है गरेबाँ मेरा कौन समझेगा इलाही ग़म-ए-पिन्हाँ मेरा पहले ये था कि ग़म उन का दिल-ए-वीराँ मेरा अब मैं अपना हूँ न दिल है किसी उनवाँ मेरा तंग दामन हूँ मगर दामन-ए-दिल तंग नहीं है मिरी हौसला-मंदी सर-ओ-सामाँ मेरा आज ज़र्रात-ए-चमन भी नहीं वाक़िफ़ मुझ से था कभी नाम गुलिस्ताँ-ब-गुलिस्ताँ मेरा हर नफ़स नग़्मा-ए-बे-ताबी-ए-ग़म जारी है छेड़े जाता है कोई साज़-ए-रग-ए-जाँ मेरा रुख़्सत ऐ सोहबत-ए-मय-ख़ाना फिर आ जाऊँगा रास्ता देखती है गर्दिश-ए-दौराँ मेरा क़ैद हूँ अपने ख़यालात की ज़ंजीरों में बन गया है मिरा एहसास ही ज़िंदाँ मेरा अपनी बे-नाम अदाओं को बचाए रखिए ये न बन जाएँ कहीं हाल-ए-परेशाँ मेरा दिल की दुश्वार-पसंदी को दुआ देता हूँ काम मुश्किल से हुआ करता है आसाँ मेरा मेरे अफ़्कार की ख़ुशबू है कई फूलों में हर गुलिस्ताँ नज़र आता है गुलिस्ताँ मेरा पास-ए-आदाब-ए-मोहब्बत मुझे 'शौक़' इतना है चाक होने नहीं पाता है गरेबाँ मेरा