चल बसे जो कि थे जाने वाले अब नहीं फिर के वो आने वाले मुझ को दिखला दे मिरा अख़्तर-ए-बख़्त चाँद सूरज के बनाने वाले लोग कहते हैं तुम्हें राहत-ए-जान तुम तो हो दिल के दिखाने वाले हम से और बार-ए-मुसीबत उठ्ठे हम तो हैं नाज़ उठाने वाले तेरी रहमत है ग़ज़ब पर ग़ालिब रोज़-ए-महशर के डराने वाले कभी भूले से इधर भी आ जा सूने फ़ित्ने के जगाने वाले दिल भी मल डाल कभी 'अंजुम' का अरे मेहंदी के लगाने वाले