चमकते चाँद सितारो ज़रा ख़याल करो कभी तो दिल से पुकारो ज़रा ख़याल करो हया के धागों में लिपटे हुए हैं हम दोनों नई रुतों के इशारो ज़रा ख़याल करो गिरी तो टूट के बिखरूँगी दूर दूर कहीं ऐ काग़ज़ी से सहारो ज़रा ख़याल करो सुलग रहा है किसी का फ़िराक़ तन-मन में इधर न आओ बहारो ज़रा ख़याल करो मिलन की आस है लेकिन ये काम ना-मुम्किन नदी के दोनों किनारो ज़रा ख़याल करो 'समीना' अश्क गिरा दो ये ज़ब्त छोड़ो भी इन्हें न दिल से गुज़ारो ज़रा ख़याल करो