चमन में गुल-फ़िशानी हो रही है हवा की मेहरबानी हो रही है यहाँ मैं क़तरा क़तरा घुल रहा हूँ मोहब्बत पानी पानी हो रही है मैं अक्सर नींद में डरने लगा हूँ मिरी बेटी सियानी हो रही है हमारे बच्चे भी पढ़ लिख रहे हैं तुम्हें क्यों बद-गुमानी हो रही है इधर मेहमान अक्सर आ रहे हैं उधर चादर पुरानी हो रही है उन्हें पलकों पे रक्खा है बिठा कर अनोखी मेज़बानी हो रही है अभी तक 'नज़्र' की पलकें हैं भारी बयाँ शब की कहानी हो रही है