चाँद भी बुझा डाला दिल दुखाने वालों ने कुछ उठा नहीं रक्खा दिल दुखाने वालों ने हम ने ख़स्तगी पाई दिल-गिरफ़्तगी पाई ख़ैर हम से क्या पाया दिल दुखाने वालों ने ख़ूब'' वज़्अ'-दारी है ज़ख़्म-ए-ताज़ा से पहले हम से हाल-ए-दिल पूछा दिल दुखाने वालों ने बे-क़रार हैं आँखें कैसे अब लहू रोएँ ख़ुश्क कर दिया दरिया दिल दुखाने वालों ने सच कहा सदा दिल को दिल से राह होती है ख़ूब हम को पहचाना दिल दुखाने वालों ने उन की वज्ह-ए-शोहरत तो तल्ख़ गुफ़्तुगू ही थी क्यूँ बदल लिया लहजा दिल दुखाने वालों ने