चाँद तारे फूल ख़ुशबू सब हटा दो उस के जैसा दूसरा है तो बता दो उस की इक तस्वीर है मैं ने बनाई मेरा ये दिल खोल के उस को दिखा दो दूर से मत देखना तुम ये तमाशा आग जो देखो कहीं भी तो बुझा दो मैं करूँगा हर दुआ उस के लिए ही तुम मुझे ज़हराब ये चाहे पिला दो मैं ने उस को जो लिखे थे बारहा सब राज़ रहने दो वो सारे ख़त जला दो उस को तो नफ़रत है फूलों की महक से मेरी मय्यत पर जो बिखरे हैं हटा दो क़र्ज़ तेरा मुझ पे 'क़ासिद' ये रहेगा मेरी ख़ाक उस के मोहल्ले में उड़ा दो