चाँद तारे जिसे हर शब देखें हम भी उस शोख़ को यारब देखें यूँ मिलें उन से कि अपना चेहरा वो भी हैरान हों, कल जब देखें पहले बस दिल को ख़बर थी दिल की अब वफ़ा आम हुई सब देखें क़ुर्ब में क्या है जो दूरी में नहीं तुम जो आओ तो किसी शब देखें जी में है फिर करें इज़हार-ए-वफ़ा फिर तिरे लरज़े हुए लब देखें मैं कि हूँ एक ही आशुफ़्ता-ख़याल लोग हर बात में मतलब देखें जो किसी ने कभी देखे न सुने वो तमाशे वो फ़ुसूँ अब देखें लाख पत्थर सही वो बुत 'अंजुम' दो-घड़ी हम से मिले तब देखें