चाँद तारे उदास रहते हैं तेरे प्यारे उदास रहते हैं माह-ए-कामिल को देखने के बा'द सब नज़ारे उदास रहते हैं दरिया बहता है मौज में अपनी और किनारे उदास रहते हैं मार डालेगी ये जवानी भी बे-सहारे उदास रहते हैं तू जो आँखों में पढ़ता रहता था वो सिपारे उदास रहते हैं तू नहीं है जो शहर में 'रामीज़' ग़म के मारे उदास रहते हैं