चारागर चुप हैं क्यूँ इलाज करें कुछ तो अपने किए की लाज कर उन से किस ने कहा था वो मुझ को फ़र्द-ए-हस्ती में इंदिराज करें रोज़ खटका सा दिल में रहता है देखिए क्या वो हुक्म आज करें फ़ुर्सत-ए-ज़ीस्त कम ही काम बहुत कल जो करना है हम को आज करें चारागर भी न क्या करेंगे याद कर सकें जिस क़दर इलाज करें सब उसी की सी कह रहे हैं 'अज़ीज़' किस से हम अर्ज़-ए-एहतियाज करें