छुप के ग़ैरों से दिल में आ जाना ऐ सनम रुख़ मुझे दिखा जाना बर-सर-राह है मिरी तुर्बत हाथ बहर-ए-दुआ उठा जाना दिल में रहता है उस के नक़्श-ए-सनम शैख़ को हम ने पारसा जाना ग़ैर मुमकिन है दख़्ल-ए-ग़ैर इस में दिल को जब ख़ाना-ए-ख़ुदा जाना ऐ मदद-गार जिन्न-ओ-इंसाँ के बिगड़ियों को मिरी बना जाना इस से अफ़्ज़ूँ सितम नहीं कोई क़त्ल-ए-आशिक़ को तुम ने क्या जाना क्या बताऊँ तुझे 'जमीला' मैं आफ़त-ए-जाँ है दिल का आ जाना