छुपा छुपा है मंज़र कौन कौन है अंदर बाहर कौन लहरें सी मुझ में कैसी फेंक रहा है पत्थर कौन सब अपनी अपनी धुन में बदले मिरा मुक़द्दर कौन किस की तरफ़ देखा जाए है नख़्ल-ए-बार-आवर कौन तेरी नज़र में ओछे सब आली-ज़र्फ़ समुंदर कौन किस की चमक आईनों में रौशन कौन मुनव्वर कौन पाँव तले धरती किस की सर पर ताने चादर कौन अब तो बहुत मुश्किल है तमीज़ पत्थर कौन है आज़र कौन सब अपने पैकर में हैं सर्व है कौन सनोबर कौन तू तो गले से लगा है देख घोंप रहा है ख़ंजर कौन अपनी अपनी अदाकारी मुफ़्लिस कौन तवंगर कौन घर बाहर सब एक सा है निकले घर से बाहर कौन सब का महवर कोई तो है गर्दिश में बे-महवर कौन आईना मेरा है 'वक़ार' लेकिन इस में शश्दर कौन