चुपके चुपके दर्द-ओ-ग़म का सिलसिला रहने दिया मैं ने अपनी चाहतों को बे-सदा रहने दिया क्या तमाशा-ए-सितम सय्याद ने बरपा किया डाल कर मुझ को क़फ़स में दर खुला रहने दिया क़ुर्बतें मुझ से रहीं और दिल से रक्खा दूर भी साथ रह कर भी उन्हों ने फ़ासला रहने दिया कारवाँ चलता रहा लेकिन गिरा जो ज़ोफ़ से रास्ते में जैसे इक पत्थर पड़ा रहने दिया अब तवक़्क़ो ही नहीं वो ग़ैर हैं तो ग़ैर हैं बस यही कुछ सोच कर हम ने गिला रहने दिया फ़ैसले उन के रहे और जीत भी उन की रही मुझ को तो हर हाल में बे-दस्त-ओ-पा रहने दिया चल रही है ज़िंदगी ये दौड़ है वो दौड़ है इस तरह कुछ पा लिया जो खो गया रहने दिया था परी-पैकर को अपने हुस्न पर इतना ग़ुरूर जान-ए-बुलबुल से भी उस ने फ़ासला रहने दिया अब कहाँ ढूँडोगे 'बरहम' चाहतें और क़ुर्बतें तुम ने ख़ुद ही शहर को ना-आश्ना रहने दिया