चुपके चुपके ये काम करता जा काम सब का तमाम करता जा हम को बदनाम कर ज़माने में कुछ ज़माने में नाम करता जा याद की शाह-राह-ए-सीमीं पर ऐ समन-बर ख़िराम करता जा ऐ कि तेरा मिज़ाज शबनम सा बर्ग-ए-दिल पर क़याम करता जा अश्क आँखों में ले के रुख़्सत हो मेरा मरना हराम करता जा बस्तियों का उजड़ना बसना क्या बे-झिजक क़त्ल-ए-आम करता जा दास्ताँ-गो तिरी कहानी में रम्ज़ किया है कलाम करता जा चार छै शेर काम के कह ले कुछ तो 'मज़हर-इमाम' करता जा