चुटकी काटो ज़रा हिलाओ मुझे मैं यहीं हूँ यक़ीं दिलाओ मुझे रोज़ इक झील राह तकती है खींच लेता है इक अलाव मुझे जन्नती हूँ तो फिर बढ़ो आगे तितलियों आओ गुदगुदाओ मुझे मैं हूँ दरिया सो करना पड़ता है कहीं रस्ता कहीं कटाओ मुझे अपनी रफ़्तार खो चुका हूँ मैं कितना महँगा पड़ा पड़ाव मुझे मैं किनारा हूँ और आरज़ी हूँ जाने कब काट दे बहाओ मुझे मैं हूँ आख़िर को जिंस-ए-ख़ाम 'अज़बर' बेच दो कौड़ियों के भाव मुझे