दहन-ए-मेहमान में काँटे पहलू-ए-मेज़बान में काँटे ख़ून थूकेगा जो भी खाएगा आप के ख़ास-दान में काँटे ख़ूब-रूओं का क्या भरोसा है आन में फूल आन में काँटे गुल-ए-रुख़्सार की हिफ़ाज़त को उस ने लटकाए कान में काँटे चुभ रहे हैं मिरे ख़यालों को बाग़-ए-जन्नत-निशान में काँटे मुस्कुराती ख़मोशियाँ उस की मेरे तर्ज़-ए-बयान में काँटे हसरतें और इज्ज़-गोयाई दिल में काँटे ज़बान में काँटे रेत में रुल के चल गए जौहर जौहरी की दुकान में काँटे राक्षस बन गए महा-जोगी ज्ञान में और ध्यान में काँटे कभी होती थी एड़ियों में ख़लिश अब तो हैं जिस्म-ओ-जान में काँटे कितना मुश्किल हुआ है रिज़्क़-ए-हलाल शोरबे और नान में काँटे चुनने वाला कोई नहीं 'सय्यद' और भरे हैं जहान में काँटे