दम भर की ख़ुशी बाइस-ए-आज़ार भी होगी इस राह में साया है तो दीवार भी होगी सदियों से जहाँ जिस के तआ'क़ुब में रवाँ है वो साअत-ए-सद-रंग गिरफ़्तार भी होगी रंगों की रिदा ओढ़ के इस रेग-ए-रवाँ पर उतरी है जो शब वो शब-ए-दीदार भी होगी कहता है मिरे कान में ख़ुश्बू का पयामी मुँह-बंद कली माएल-ए-गुफ़्तार भी होगी साए से लिपट जाएँगे क़दमों से ब-हर-गाम रुस्वाई कुछ अपनी सर-ए-बाज़ार भी होगी ऐ शब न कटेगी तिरे सीने की स्याही इक शोख़ किरन मुफ़्त गुनहगार भी होगी सुनते हैं कि हर सुब्ह के हाथों में 'रशीद' अब इक ज़हर में डूबी हुई तलवार भी होगी