दामन-ए-दिल पे नहीं बारिश-ए-इल्हाम अभी इश्क़ ना-पुख़्ता अभी जज़्ब-ए-दरूँ ख़ाम अभी ख़ुद ही झुकता हूँ कि दावा-ए-जुनूँ क्या कीजिए कुछ गवारा भी है ये क़ैद-ए-दर-ओ-बाम अभी ये जवानी तो अभी माइल-ए-पैकार नहीं ये जवानी तो है रुस्वा-ए-मय-ओ-जाम अभी वाइज़ ओ शैख़ ने सर जोड़ के बदनाम किया वर्ना बदनाम न होती मय-ए-गुलफ़ाम अभी मैं ब-सद-ब-सद-फ़ख़्रिया ज़ुहहाद से कहता हूँ 'मजाज़' मुझ को हासिल, शर्फ़-ए-बैअत-ए-ख़य्याम अभी