डर क्यों जाते हैं ये डरने वाले लोग

डर क्यों जाते हैं ये डरने वाले लोग
मरने से पहले ही मरने वाले लोग

उम्र के कितने प्यारे साल बचाते हैं
प्यार मोहब्बत इश्क़ न करने वाले लोग

लोग वो कितनी चैन की नींदें सोते हैं
वा'दा कर के जल्द मुकरने वाले लोग

इक दिन सारी धरती को खा जाएँगे
घास के पीछे मिट्टी चरने वाले लोग

जीते जी क्यों इतना शोर मचाते थे
क़ब्रों में सन्नाटा भरने वाले लोग

देखें नसीहत क्या वो हम को पढ़ाते हैं
वैसे नहीं हैं हम तो सुधरने वाले लोग

तैरने की उम्मीदों में तुम मत डूबो
डूब गए हैं सारे तैरने वाले लोग

लब से लगा कर मय की प्यास बुझाते हैं
पेड़ के सर पर छाता धरने वाले लोग

राज़ बुलंदी के दुनिया से छुपाते हैं
सीढ़ी से चुप-चाप उतरने वाले लोग

आज 'अलख़' को क्यों इम्कान में ढूँडते हो
ख़ाक से क्या उभरेंगे उभरने वाले लोग


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