दर्द औरों का दिल में गर रखिए बे-ग़रज़ हो के उम्र-भर रखिए हो ही जाएँगी मुश्किलें आसान अक़्ल सा एक राहबर रखिए पाँव ठहरें ख़याल चलते रहें एक ऐसा भी तो सफ़र रखिए उस के दम से है आबरू का वजूद अपने किरदार पर नज़र रखिए हो इशारा कि बह सके न हवा आँख में इतना तो असर रखिए दोस्ती में है शर्त ये 'दरवेश' ज़िक्र मैं तू का ताक़ पर रखिए