दर्द बढ़ कर दवा न हो जाए ज़िंदगी बे-मज़ा न हो जाए इन तलव्वुन-मिज़ाजियों का शिकार कोई मेरे सिवा न हो जाए लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार ही न रहे कहीं वादा वफ़ा न हो जाए तेरी रफ़्तार ऐ मआज़-अल्लाह हश्र कोई बपा न हो जाए कामयाबी ही कामयाबी हो तो ये बंदा ख़ुदा न हो जाए मेरी बेताबियों से घबरा कर कोई मुझ से ख़फ़ा न हो जाए कुछ तो अंदाज़ा-ए-जफ़ा कीजिए दिल सितम-आश्ना न हो जाए कहीं नाकामी-ए-असर आख़िर मुद्दआ-ए-दुआ न हो जाए वो निगाहें न फेर लें 'अख़्तर' इश्क़ बे-आसरा न हो जाए