दर्द जब जब जहाँ से गुज़रेगा क़ाफ़िला हो के जाँ से गुज़रेगा फ़िक्र में आएगा सवाल मिरा और जवाब उस का हाँ से गुज़रेगा मैं तो ये सोच भी नहीं सकता कोई शिकवा ज़बाँ से गुज़रेगा सामने आएगा मिरा किरदार ज़िक्र जब दास्ताँ से गुज़रेगा फिर मुझे याद आएगा बचपन इक ज़माना गुमाँ से गुज़रेगा रहगुज़र है उदास मेरी तरह जाने कब वो यहाँ से गुज़रेगा लोग हैरत में डूब जाएँगे जब भी वो दरमियाँ से गुज़रेगा ये परिंदा जो क़ैद में है अभी एक दिन आसमाँ से गुज़रेगा